
भारत को जानो, भारत को मानो!
आरएसएस विचारक मनमोहन वैद्य की किताब कराती है भारतबोध -प्रो.संजय द्विवेदी हमारे राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विमर्श में ‘विचारों की घर वापसी’ का समय साफ दिखने लगा है। अचानक हमारी

आरएसएस विचारक मनमोहन वैद्य की किताब कराती है भारतबोध -प्रो.संजय द्विवेदी हमारे राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विमर्श में ‘विचारों की घर वापसी’ का समय साफ दिखने लगा है। अचानक हमारी

भारतीय विज्ञापन जगत में जब भी मौलिकता, रचनात्मकता और भारतीय संवेदना की बात होगी तो सबसे पहले जिस शख्स का नाम सामने आयेगा वे हैं पीयूष पाण्डे। वे केवल विज्ञापन
“हे राम…….” ये गाँधी के मुँह से निकले अंतिम शब्द हैं। इस प्रसंग की अक्सर चर्चा होती है कि गाँधी ने ऐसा कहा था कि जब वे शरीर त्यागें तब
हिन्दी पत्रकारिता की आगामी दिशा: तकनीक, संवेदना और उत्तरदायित्व की त्रयी डॉ लाल बहादुर ओझा हिन्दी पत्रकारिता ने अपने 200 वर्षों के इतिहास में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। ‘उदन्त मार्तण्ड’

अपने लेखन और प्रस्तुति से कहीं भी मीडिया को आतंकवाद के प्रति नरम रवैया नहीं अपनाना चाहिए ताकि जनता में आतंकी गतिविधियों के प्रति समर्थन का भाव न आने पाए।

बिहार में मुद्दा ‘लालूराज’ और ‘सुशासन बाबू’ ही हैं बिहार चुनाव हमेशा की तरह फिर जाति, बाहुबल और विकास के त्रिकोण में उलझा दिखता है। सामाजिक न्याय की ताकतों की
हिंदी पत्रकारिता के 200 साल की यात्रा का उत्सव मनाते हुए हमें बहुत से सवाल परेशान कर रहे हैं जिनमें सबसे खास है ‘संपादक का विस्थापन’। बड़े होते मीडिया संस्थान
पिछले महीने स्वाधीनता दिवस के आसपास झारखंड से कवि चेतन कश्यप ने अमृलाल नागर का एक आलोचक को लिखे पत्र, जो पुस्तकाकार भी प्रकाशित है, का स्क्रीन शाट भेजा। पुस्तक
आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते दखल और नित नई रंगत के साथ बदलती रोबोटिक्स की दुनिया ने यह तो तय कर ही दिया है कि पत्रकारिता के कुछ नए अध्याय गढ़ने
लगभग ढाई दशक से पत्रकारिता में सक्रिय अनंत विजय इस समय हिंदी में सबसे अधिक पढ़े जाने वाले समाचार पत्र दैनिक जागरण में कार्यरत हैं। उनको सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार स्वर्ण कमल से पुरस्कृत किया जा चुका है। उनको पत्रकारिता का सर्वोच्च सम्मान गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार और बिहार सरकार का फादर कामिल बुल्के सम्मान मिला है। उन्होंने अब तक 15 पुस्तकों का लेखन किया है।
पाठ्यक्रम समन्वयक, सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज़, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की भूमिका निभा रहे हैं । मीडिया, संवाद, पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखते हैं। कई पुस्तकों के लेखक।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जनसंचार विभाग में आचार्य और अध्यक्ष हैं। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी), दिल्ली के महानिदेशक रह चुके हैं। 32 पुस्तकों का लेखन और संपादन किया है।
बीएचयू, वाराणसी में पढ़ाई के बाद जनसत्ता, कोलकाता और प्रभात खबर, राँची के साथ सक्रिय पत्रकारिता। आईआईएमसी, दिल्ली से अकादेमिक भूूमिका की शुरुआत। वर्तमान में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के जनसंचार विभाग में वरिष्ठ सहायक अध्यापक।
डॉ.पवित्र श्रीवास्तव, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जनसंपर्क और विज्ञापन विभाग के अध्यक्ष हैं। देश के वरिष्ठ मीडिया अध्यापकों में शामिल हैं। फ़िल्म में विशेष रुचि। अनेक विश्वविद्यालयों के मीडिया विभागों में अध्ययन मंडल के सदस्य हैं।
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